Rat Race for Dreams
खोयी हुयी जिंदगी है खोये हुए सपने हैं ,
सपनों की दौड़ में भाग रहे हैं हम,
झरने में कम पानी देखकर सागर ढूँढ रहे हैं हम,
भूल गये हैं सागर का पानी मिठास नहीं दे सकता,
भूल गये हैं आज का सपना कल खुशियाँ नहीं दे सकता,
भूल रहे हैं जो खुशी आज हम पर दीवानी है ,
कल दीवाना दूसरा बना ड़ालेगी ,
हमारी चाहत की आरजू को दूसरे की चाहत बना ड़ालेगी |
भूल रहे हैं वो अपनी रंगत के जाम को दूसरे को पिला ड़ालेगी ,
भूल रहे हैं वो अपने यौवन के चंचल चितवन को दूसरे का संभोग बना ड़ालेगी ,
और इस प्यास के प्यासे को सदा के लिए प्यासा ही छोड़ ड़ालेगी ,
प्यासा ही छोड़ ड़ालेगी |
5 comments:
bhai aajkal badi kavitaye likh rahe ho...
koi pelam pal company to tum phod hi doge par kavi logo ka bhi safaya kar ne ka irada hai kya?
wah kya likha hai
dard hi dard
kitna sensitive baccha hai re ...hame to pta hi nahi tha
Speechless....gr8 work...mast likhi h bansal jiii... bas yahi dua krenge ki aap aage bhi aise hi kavitayen likhte rhoge aur hame aisi kavitayen padhne ko milti rhegi :) :)
bansal ji pel rahe ho...
aaj kal lmb nahi ja pa rahe to likhna chalu kar dia
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