Saturday, January 29, 2011

tumhari shikayatein

जिद का तुम्हारी  जो पर्दा सरकता तो
खिड़कियों से आगे भी तुम देख पाते |

आँखों से  शिकायतों की जो पलकें हटाते तो
तुम जान लेते में  क्या सोचता हूँ |

होठों से नफरत के जाम की जो बूँदें तुम गिरा पाते तो
तुम जान लेते कि हम तुम्हारे प्यार में कितने नशीले हैं |

हमारी साँसों की घुटन को तुम जीने की तमन्ना जो बना पाते तो
तुम जान लेते कि हमारी साँस की तमन्ना तुम्हारी साँस लेने की (जीने की ) तमन्ना से जन्म लेती है |

हमारे दिल की धड़कन पर  तुम अपनी धड़कन जो महसूस कर पाते तो
तुम अपनी आख़िरी धड़कन तक अपने दिल को हमारे लिए धड़कने से न रोक पाते
 धड़कने से न रोक पाते |

1 comment:

Unknown said...

awesum man.... never thought u culd write so well..yup it is romantic wid deep meaning...hope dis one do eliminates all d shikayatein.... mine favourite para is 3rd one... gud one looking 4 more lyk dis